“तुलसीराम सिलावट को कभी डर नहीं लगता” – डैम के गहरे होल में उतरे मंत्री, डैम और कान्ह डक्ट परियोजना का लिया जायजा; बोले – शिप्रा का स्वरूप अब होगा निर्मल!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

उज्जैन जिले में शिप्रा नदी को स्वच्छ और अविरल प्रवाहमान बनाए रखने के लिए दो बड़ी परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। शुक्रवार को मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने सेवरखेड़ी में निर्माणाधीन डैम और कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना का निरीक्षण किया। इस मौके पर उनके साथ प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव और विधायक सतीश मालवीय भी मौजूद रहे।

निरीक्षण के दौरान मंत्री सिलावट खुद गहरे निर्माणाधीन होल में लिफ्ट से नीचे उतरे और चल रहे कामों की जानकारी ली। जब उनसे पूछा गया कि इतनी गहराई में जाने पर डर नहीं लगता, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया— “तुलसीराम सिलावट को कभी डर नहीं लगता, अगर डरता तो सरकार नहीं गिराता।” इस चुटीले अंदाज के बाद माहौल हल्का-फुल्का हो गया और मंत्री संतोष जताते हुए आगे रवाना हो गए।

बता दें, शिप्रा नदी उज्जैन की पहचान और धार्मिक आस्था की धुरी है। महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन से लेकर सिंहस्थ जैसे महाकुंभ आयोजन तक, हर अवसर पर इस नदी का विशेष महत्व है। लेकिन लगातार बढ़ते प्रदूषण और मौसमी जल प्रवाह की समस्या ने इसकी पवित्रता को चुनौती दी थी। अब इन दोनों परियोजनाओं के पूरा होने के बाद न केवल शिप्रा का जल स्वच्छ रहेगा बल्कि बारहों महीने नदी में पानी उपलब्ध होगा।

दो अहम परियोजनाएं, एक ही लक्ष्य – स्वच्छ और अविरल शिप्रा

कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना

लगभग 1650 करोड़ रुपए की लागत से बन रही यह परियोजना शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। योजना के तहत इंदौर से आने वाली कान्ह नदी के गंदे पानी को शिप्रा में मिलने से पहले डायवर्ट किया जाएगा। इसके लिए विशेष टनल और क्लोज डक्ट का निर्माण किया जा रहा है, जिससे यह पानी करीब 30 किलोमीटर दूर गंभीर नदी के डाउन स्ट्रीम में छोड़ा जाएगा। इस तकनीक से शिप्रा नदी में गंदगी नहीं मिलेगी और उसका प्राकृतिक स्वरूप बरकरार रहेगा।

सेवरखेड़ी–सिलारखेड़ी परियोजना

शिप्रा नदी में पूरे वर्षभर स्वच्छ जल का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए यह योजना तैयार की गई है। इसके अंतर्गत सेवरखेड़ी के पास एक बैराज बनाया जा रहा है। इस बैराज से पानी को लिफ्ट करके सिलारखेड़ी डेम तक पहुँचाया जाएगा। वहाँ से यह पानी शिप्रा में छोड़ा जाएगा, जिससे नदी का प्रवाह अविरल बना रहेगा और धार्मिक नगरी उज्जैन में हर समय श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल उपलब्ध होगा।

सरकार का लक्ष्य – 2028 सिंहस्थ से पहले तैयारियां पूरी करना

सरकार की कोशिश है कि वर्ष 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ से पहले ये दोनों परियोजनाएं पूरी हो जाएं। इससे उज्जैन आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को स्वच्छ और अविरल शिप्रा का लाभ मिलेगा। निरीक्षण के दौरान मंत्री सिलावट ने अधिकारियों को कामों की गुणवत्ता और समय-सीमा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।

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